Saturday, September 6, 2008

जब भी आती हैं तेरी याद


जब भी आती है तेरी याद कभी शाम के बाद
और बढ़ जाती है अफसुर्दा-दिली शाम के बाद

अब इरादों पे भरोसा है न तौबा पे यकीन
मुझ को ले जाए कहाँ तश्ना-लाबी शाम के बाद

यूँ तो हर लम्हा तेरी याद का बोझल गुजरा
दिल को महसूस हुई तेरी कमी शाम के बाद

यूँ तो कुछ शाम से पहले भी उदासी थी अदीब
अब तो कुछ और बढ़ी दिल की लगी शाम के बाद


-- क्रीशान अदीब

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